Sunday, 26 March 2023

गुटका खाने के फायदे

 गुटका खाने के फायदे



 

हमारा हाल मत पूछो भैया

सरलों हाथी तऊ नौ लाखी

बात में हमारे कट्टा पिस्टल तो आम बात है, साला गले में गमछा और हाथ मे बुलेट और मुंह मे से जब रजनीगंधा की पिचकारी सर्र से मरते है न तो ओय होय पूछो मत मज़ा ही जाता है l

हम लोगों को देख के त भैस भी ससुरी शरमा जात है l

रामखेलावन के त एक दिन भूटेली की भाइसिया तोरायके दौराय लिहिस,

कहीस हमका बिरावत हवा, ससुर के नाती आवा आज पगुरी भुलय देव तोहके

न रही बास न बजी बसूरियाँ

दिन भर पगुरी, दिन भर पगुरी

दांत का white वाला कलर हम लोगों को पसंद नहीं है हम लोग थोड़ा योद्धा टाइप मैन है ना तो थोड़ा जब तक दातों में खून वाला रंग ना रहे मज़ा ही नहीं आता l

आर्ट तो हमारे खून-खून  में ही नहीं मुंह- मुंह मे भरा रहता है, जब भी कभी मौका मिलता है पिच्च से लाल रंग से चित्रकारी कर देते है और वो भी बिना किसी भेद भाव के चाहे सड़क हो या दीवाल हो या किसी की गाड़ी हो, सबकी छोड़ो अपनी गाड़ी को भी हम लोग बिना रंगे छोड़ते नहीं है

होली तो हम लोगों का पसंदीदा त्योहार है इतना जायद पसंद है की पूरे साल हम लोग खेलते है

वैसे भी आप सभी को बता दे गुटके मे विटामिन c पाया जाता है  इसको खाने पर दांत भले खराब हो जाए लेकिन चेहरे पर एक अलग किस्म का ग्लो आप साफ़ देख सकते है l और ना खाओ तो ससुरा लोग हल्का भी लेने लगते है सोचते है की हम साला कहीं और से आए है क्या ?

लोगों को जब देखो सिर्फ बुराई करते रहते हैं इसका भी अपना अलग लेबेल का ही फायदा है l हम लोगों में गुटका खाने के बाद एक अलग ही लेबल का धैर्य देख सकते है आप कितना भी खरी खोटी सुनाए कितना भी हमे उकसाए जब तक गुटका मुंह मे है हम सारी बात मुस्कुरा कर टाल जाएंगे l

किसी के कटु बचन की इतनी वैल्यू नहीं की उसके लिए हम अपना 5 रुपये का गुटका थूक दे, गजब का अर्थशास्त्री हमारे अंदर सजीव हो उठता है गुटका खाने के बाद

लालच से कोसों दूर हो जाते है हम मेवा मिश्री की छेना बर्फ़ी सब फीके है इसके आगे

संबंधों की असली पहचान हमे यही से तो होती है कोई काम नहीं आता क्या माई क्या मेहरी

सब लोगों ने कसम दे के देख लिया लेकिन वही ढाँक के तीन पात

हमने  भी साफ साफ कह दिया गुटका नहीं छोड़ सकत है हम चाहे प्राण काहे ना छूट जाए

“रघुकुल रीत सदा चली आई, प्राण जाई पर गुटका ना जाई”

हमलोग कैंसर से समझौता कर सकते है, मुंह के पचास रोगों से समझौता कर सकते है, लेकिन गुटका से

कत्तई नहीं l  

वैसे तो हम आदती नहीं है, जब चाहे छोड़ सकते है लेकिन जब पकड़ लिए तो पकड़ लिए आखिर शौक भी कोई चीज होती है l यही तो हमने सीखा है पहले पकड़ते नहीं, और अगर पकड़ लिए तो फिर छोड़ते नहीं l अरे जब शाहरुख कहाँ और अजय देवगन नहीं छोड़ पाए और नहीं तो अक्षय कुमार को भी अपने टीम मे शामिल कर लिए तो और सबकी बाते छोड़ो भैया

ऊंचे लोग ऊंची पसंद

जिन लोगों को नीचे बने रहना है जाओ बनो

हम तो ऊंचे ही रहेंगे 

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