जरुरत जीवन की
जिंदगी में कुछ भी तो नहीं माँगा था, बेपनाह मोहब्बत करने वाले के सिवा
थोडा कम देते शानो शौकत का सामान तो जी लेता
थोडा कम होता जिंदगी में धन, यौवन तो जी लेता
चलो गम दे देते, थोडा ज्यादा या कम दे देते तो भी जी लेता
पर मोहब्बत ही ना बख्शी जिंदगी में ये तो ठीक नहीं
ये तो ऐसे है जैसे मोटर बिन इंधन, जैसे सांसो बिन जीवन
जैसे बरखा बिन पानी, बिना पात्र के कहानी
जैसे प्रकृति से विलुप्त हो सुन्दरता, जैसे दिशाविहीन हो प्रखरता
प्राण ही तो होते है ये सब अपने अस्तित्व के
मै भी निष्प्राण हूँ प्रेम के बिना और वो भी साधारण वाला नही
अनलिमिटेड वाला
या भूल गये मेरे हिस्से का पात्र बनाना
या मै ही कुपात्र हूँ आप द्वारा निर्मित हर पात्र के लिए l
कोई मुझ सा दे दो जो बेहद प्रेम करना जानता हो
जिससे प्रीत लग जाए उसके लिए मरना जानता हो
जो शर्त ना रक्खे साथ निभाने के लिए
जो अँधा ना हो सिर्फ अपनी खुशिया पाने के लिए
दुसरे भी उसके लिए मायने रखते हो
कोई तो होगा ही ना तेरे इस विशाल वृहद् संसार में
प्रभु कोई तो जरुर होगा.....................
प्रदीप दुबे
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