आधुनिक ज्ञान
इतने भी उदार न बनो की कोई भी आपका अपने स्वार्थ हित उपयोग करे और तिरस्कृत करके छोड़ दे l
इतने भी दयावान न बनो की तुम्हारी दायलुता तुम्हारी मूर्खता का परिचायक
इतने भी सहिष्णु ना बनो कि तुम्हारी सहिष्णुता तुम्हारी कायरता का प्रतिबिम्ब बन जाये।
इतने ईमानदार भी ना बनो की तुम पतन की तरफ अग्रसर हो जाओ।
यह आधुनिक ज्ञान की परिभाषा है जो जीवन को सरल बनाती है।
यदि तुमने उठाये है नुकसान अपने इन सद्कर्मो से
या उठा सकने का सामर्थ्य अब भी जिन्दा है तुममे तो,
धर्म कहता है की तुम्हारी नेक दिली और तुम्हारी अच्छाइयों का मूल्याङ्कन कही और हो रहा है और इनका सही आंकलन करने वाला निष्पक्ष निर्णय देता है उसकी शब्दकोष में भेदभाव नहीं आते है l
ये सब का नुकसान।
जोड़ दिया जायेगा तुम्हारी उपलब्धियों में l
तुम लगे रह सकते हो अनवरत.......... l
प्रदीप दुबे
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