तुम हर बार मुझसे कहते हो
"कुछ कहना है"
पर वो क्यू नहीं कहते ?
जो कहना है
सारी बातें हो जाती है, पूरी मुलाकातें हो जाती हैं
फिर कुछ बचा कैसे रह जाता है ?
जो कहना है
सब सुनता तो हूँ,
कुछ छूट कैसे जाता है ?
सब कह के भी मुझसे,
तू रूठ कैसे जाता है ?
और फिर कहते हो मुझसे
"कुछ कहना है"
आई का दुख-सुख, भाई की कहानी
मोहल्ले की खबर, सखियों की जुबानी
कॉलेज का आना-जाना, गलियों का वो ताना-बाना
सब कुछ तो कह डाला है तुमने
अब कह भी दो
"जो कहना है"
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