Saturday, 27 November 2021

खामोशी


खामोशी गवाह है
की इंसान ने सिख ली है 
एक नई भाषा

खामोशी गवाह है
की संवेदनशीलता 
और गहरी हो गई है

खामोशी गवाह है
इंसान ने समझ लिया है
कोई मर्म नही रहा सिर्फ बोलने में

खामोशी गवाह है
तूफान बहोत गुजरा है
उसके अस्तित्व को छूकर

खामोशी गवाह है
की अहंकार जल गया है 
अब धू धू कर

खामोशी गवाह है
परिपक्वता की 
खामोशी गवाह है
एक अनूठे वक्ता की



प्रदीप रघुवंशी

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