वो तेरी आँखों की खुमारी
वो तेरे सुर्ख खुले होंठ
वो तेरे लबो की लाली
मुझे सब कुछ है याद
कुछ भी तो नहीं भुला
वो तेरा झूठा सा गुस्सा
वो छोटी बातो पे रोना
वो मेरा मनना
वो तेरी गोंद में सोना
मुझे सब कुछ है याद
कुछ भी तो नहीं भुला
वो सुबह सुबह तेरा हसते हुए आना
वो चुपके से देखना,और हसते हुए जाना
मुझे सब कुछ है याद
कुछ भी तो नहीं भुला
वो मुझे छोड़कर तेरा पढ़ने को जाना
वहा मन का न लगाना और लौट के आना
वो आये थे तुम जब दरवाजे से अन्दर
मुझे देखकर मेरे सिने से लग जाना
मुझे सब कुछ है याद
कुछ भी तो नहीं भुला
वो आमो के पेड़ो से अमिया चुराना
चुरा के छुपाना और चुपके से खाना
वो नानी की डांटे, वो सुबह तक की बाते
मुझे सब कुछ है याद
कुछ भी तो नहीं भुला
वो फोन न कर पाने पर तेरा मुझसे झगड़ना
वो सबकुछ समझके भी कुछ ना समझना
वो मेरे लिए कुछ तेरा बनाना
वो तकना मुझे और अपने हाथो से खिलाना
मुझे सब कुछ है याद
कुछ भी तो नहीं भुला
वो एक गलती पर मेरी तेरी आँखों की बरसाते
मानो जिन्दा था मै पर अटक गयी हो सांसे
वो वेलेंटाइन का दिन और जुदाई की राते
मुझे सब कुछ है याद
कुछ भी तो नहीं भुला
वो कान्हा की मूर्ति जो तुमने दिया था
वो निशान अपने मुहब्बत के जो मैंने दिया था
वो निशान अपने मुहब्बत के जो मैंने दिया था
खुश थी तुम पर दर्द भी सहा था
मुझे सब कुछ है याद
कुछ भी तो नहीं भुला
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