Sunday, 22 October 2017

एक छलावा


एक छलावा



मुसीबत के वक्त 
वो शख्स जल्दी चला गया जिसके ठहरने की उम्मीद सबसे ज्यादा थी। 
और वो देर तक रुका जो कभी मिलता भी ना था राहों में। 
समय एक छलावा है
जो वक्त बेवक्त कुछ अनसुलझे से पाठ पढ़ता रहता है। 
समझने की सारी कोशिशे नाकाम ठहरती है। 
जब भी बुद्धिमान सा इसके सामने जाता हूँ
ये लौटा देती है फुद्दू बनाकर। 
बड़ी कोशिशे की इस मायाजाल के समीकरण को बैठाने की 
पर हर बार वही से शुरू करता हूँ जहा से कुछ साल पहले शुरू किया था। 
जिंदगी को एक पहेली का नाम दो तो ही बेहतर है। 
ये उलझी थी और उलझी ही रहेगी 
कभी प्यार के नाम पर कभी खुशियों के नाम पर 
कभी सुख, कभी दुःख, कभी पाना, कभी खोना ,किसी का आना, किसी का जाना
सब पूर्वनियोजित सा मगर बदला जा सकने वाला 
सब सच सा मगर लिपटा हुआ झूठ के आंचल में 
कुछ बादलो की जमीं जैसी, कुछ ख्वाबो के महल जैसा
किसी निरुद्देस्य मंजिल की तरह. कभी अविकसित कमल जैसा
पर मै हार  नहीं मानूँगा ये मानसिक जंग तो चलती जब तक ये दीप जलता रहेगा।
प्रदीप दुबे

Modern Education

Modern Education

Don’t be so generous that anyone can use you for their self interest and quit you abruptly.
Don’t be so compassionate that your kindness becomes the sign of your stupidity.
Don’t be so tolerant that your tolerance became the reflection of your cowardice.
Don’t be so honest that you move on to the fall.
This is the rule of modern education if you want to simplify your life.
In spite of this,
If you have suffered losses due to your good conduct.
And power to lift these is still alive in you.
Religion says your goodness and good qualities are being evaluated anywhere else,
By someone whose dictionary doesn’t discriminate.
The losses of all these will be added in your achievements.
And you can stay indefinitely…………………………
                                                      Pradeep k. dubey

आधुनिक ज्ञान

आधुनिक ज्ञान


इतने भी उदार न बनो की कोई भी आपका अपने स्वार्थ हित उपयोग करे और तिरस्कृत करके छोड़ दे l 
इतने भी दयावान न बनो की तुम्हारी दायलुता तुम्हारी मूर्खता का परिचायक 
इतने भी सहिष्णु ना बनो कि तुम्हारी सहिष्णुता तुम्हारी कायरता का प्रतिबिम्ब बन जाये
इतने ईमानदार भी ना बनो की तुम पतन की तरफ अग्रसर हो जाओ
यह आधुनिक ज्ञान की परिभाषा है जो जीवन को सरल बनाती है।
यदि तुमने उठाये है नुकसान  अपने इन सद्कर्मो से 
या उठा सकने का सामर्थ्य अब भी जिन्दा है तुममे तो, 
धर्म कहता है की तुम्हारी नेक दिली और तुम्हारी अच्छाइयों का मूल्याङ्कन कही और हो रहा है और इनका सही आंकलन करने वाला निष्पक्ष निर्णय देता है उसकी शब्दकोष में भेदभाव नहीं आते है l 
ये सब का नुकसान।
जोड़ दिया जायेगा तुम्हारी उपलब्धियों में l
तुम लगे रह सकते हो अनवरत.......... l

                                          प्रदीप दुबे

जरुरत जीवन की

जरुरत जीवन की
जिंदगी में कुछ भी तो नहीं माँगा था, बेपनाह मोहब्बत करने वाले के सिवा
थोडा कम देते शानो शौकत का सामान तो जी लेता
थोडा कम होता जिंदगी में धन, यौवन तो जी लेता
चलो गम दे देते, थोडा ज्यादा या कम दे देते तो भी जी लेता
पर मोहब्बत ही ना बख्शी जिंदगी में ये तो ठीक नहीं
ये तो ऐसे है जैसे मोटर बिन इंधन, जैसे सांसो बिन जीवन
जैसे बरखा बिन पानी, बिना पात्र के कहानी
जैसे प्रकृति से विलुप्त हो सुन्दरता, जैसे दिशाविहीन हो प्रखरता
प्राण ही तो होते है ये सब अपने अस्तित्व के
मै भी निष्प्राण हूँ प्रेम के बिना और वो भी साधारण वाला नही
अनलिमिटेड वाला
या भूल गये मेरे हिस्से का पात्र बनाना
या मै ही कुपात्र हूँ आप द्वारा निर्मित हर पात्र के लिए l
कोई मुझ सा दे दो जो बेहद प्रेम करना जानता हो
जिससे प्रीत लग जाए उसके लिए मरना जानता हो
जो शर्त ना रक्खे साथ निभाने के लिए
जो अँधा ना हो सिर्फ अपनी खुशिया पाने के लिए
दुसरे भी उसके लिए मायने रखते हो
कोई तो होगा ही ना तेरे इस विशाल वृहद् संसार में
प्रभु कोई तो जरुर होगा.....................
प्रदीप दुबे

LET'S WATCH


LET'S WATCH




Go ! whether you want.
We will meet at the mid of life.
Let's watch.
We'll measure, we'll judge.
What did you get, what have you lost ?
it's not only deficiency of me.
It's not only failureness of me.
Something sliced you forever.
As me you'll remain in torment till the whole life.
It'll be not something else, it'll be your part.
We could make resolve this, it wasn't tuff like that.
We could make some compromises, something you something me.
But alas. we couldn't. 
It's all about matter of pretence.
But life will move on either feel happy or sad.

Sunday, 24 September 2017

स्‍नेह की देवी हैं स्कंदमाता

स्‍नेह की देवी हैं स्कंदमाता
 नवरात्रि का पाँचवाँ दिन स्कंदमाता की उपासना का दिन होता है। स्‍नेह की देवी हैं स्कंदमाता
कार्तिकेय को देवताओं का सेनापति मना जाता है और माता को अपने पुत्र स्कंद से अत्यधिक प्रेम है. जब धरती पर राक्षसों का अत्याचार बढ़ता है तो माता अपने भक्तों की रक्षा करने के लिए सिंह पर सवार होकर दुष्टों का नाश करती हैं. स्कंदमाता को अपना नाम अपने पुत्र के साथ जोड़ना बहुत अच्छा लगता है. इसलिए इन्हें स्नेह और ममता की देवी माना जाता है.

श्लोक
सिंहासनगता नित्यं पद्माश्रितकरद्वया | शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी ||

उपासना

प्रत्येक सर्वसाधारण के लिए आराधना योग्य यह श्लोक सरल और स्पष्ट है। माँ जगदम्बे की भक्ति पाने के लिए इसे कंठस्थ कर नवरात्रि में पाँचवें दिन इसका जाप करना चाहिए।

या देवी सर्वभू‍तेषु माँ स्कंदमाता रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
अर्थ : हे माँ! सर्वत्र विराजमान और स्कंदमाता के रूप में प्रसिद्ध अम्बे, आपको मेरा बार-बार प्रणाम है। या मैं आपको बारंबार प्रणाम करता हूँ। हे माँ, मुझे सब पापों से मुक्ति प्रदान करें। इस दिन साधक का मन 'विशुद्ध' चक्र में अवस्थित होता है। इनके विग्रह में भगवान स्कंदजी बालरूप में इनकी गोद में बैठे होते हैं।
मां को इन चीजों का भोग लगाएं 
पंचमी तिथि के दिन पूजा करके भगवती दुर्गा को केले का भोग लगाना चाहिए और यह प्रसाद ब्राह्मण को दे देना चाहिए. ऐसा करने से मनुष्य की बुद्धि का विकास होता है.

कथा एवंम महत्व

भगवान स्कंद 'कुमार कार्तिकेय' नाम से भी जाने जाते हैं। ये प्रसिद्ध देवासुर संग्राम में देवताओं के सेनापति बने थे। पुराणों में इन्हें कुमार और शक्ति कहकर इनकी महिमा का वर्णन किया गया है। इन्हीं भगवान स्कंद की माता होने के कारण माँ दुर्गाजी के इस स्वरूप को स्कंदमाता के नाम से जाना जाता है।
नवरात्रि-पूजन के पाँचवें दिन का शास्त्रों में पुष्कल महत्व बताया गया है। इस चक्र में अवस्थित मन वाले साधक की समस्त बाह्य क्रियाओं एवं चित्तवृत्तियों का लोप हो जाता है। वह विशुद्ध चैतन्य स्वरूप की ओर अग्रसर हो रहा होता है।
साधक का मन समस्त लौकिक, सांसारिक, मायिक बंधनों से विमुक्त होकर पद्मासना माँ स्कंदमाता के स्वरूप में पूर्णतः तल्लीन होता है। इस समय साधक को पूर्ण सावधानी के साथ उपासना की ओर अग्रसर होना चाहिए। उसे अपनी समस्त ध्यान-वृत्तियों को एकाग्र रखते हुए साधना के पथ पर आगे बढ़ना चाहिए।
माँ स्कंदमाता की उपासना से भक्त की समस्त इच्छाएँ पूर्ण हो जाती हैं। इस मृत्युलोक में ही उसे परम शांति और सुख का अनुभव होने लगता है। उसके लिए मोक्ष का द्वार स्वमेव सुलभ हो जाता है। स्कंदमाता की उपासना से बालरूप स्कंद भगवान की उपासना भी स्वमेव हो जाती है। यह विशेषता केवल इन्हीं को प्राप्त है, अतः साधक को स्कंदमाता की उपासना की ओर विशेष ध्यान देना चाहिए।
सूर्यमंडल की अधिष्ठात्री देवी होने के कारण इनका उपासक अलौकिक तेज एवं कांति से संपन्न हो जाता है। एक अलौकिक प्रभामंडल अदृश्य भाव से सदैव उसके चतुर्दिक्‌ परिव्याप्त रहता है। यह प्रभामंडल प्रतिक्षण उसके योगक्षेम का निर्वहन करता रहता है।
हमें एकाग्रभाव से मन को पवित्र रखकर माँ की शरण में आने का प्रयत्न करना चाहिए। इस घोर भवसागर के दुःखों से मुक्ति पाकर मोक्ष का मार्ग सुलभ बनाने का इससे उत्तम उपाय दूसरा नहीं है।

हर कठिनाई दूर करती हैं मां 
शास्त्रों में मां स्कंदमाता की आराधना का काफी महत्व बताया गया है. इनकी उपासना से भक्त की सारी इच्छाएं पूरी हो जाती हैं. भक्त को मोक्ष मिलता है. सूर्यमंडल की अधिष्ठात्री देवी होने के कारण इनका उपासक अलौकिक तेज और कांतिमय हो जाता ह. अतः मन को एकाग्र रखकर और पवित्र रखकर इस देवी की आराधना करने वाले साधक या भक्त को भवसागर पार करने में कठिनाई नहीं आती है.

मेरा साथ forever

मेरा साथ forever

मै साथ हु तेरे

मेरा साथ निभाने के लिए
और मै साथ हु तेरे
मेरे साथ ना निभाने के लिए भी
फक्र है मुझे तुझसे वफॉ करके
मैने जिन्दगी मे कुछ ऐसा मुकाम भी तो पाया
जहॉ अब मै खुदके लिए भी अहम नही
जहॉ तुम सिर्फ मेरे हो इसमे कोई वहम नही
मुझे फर्क नही पड़ता तुम गलत हो या सही
मै साथ हु तेरे
तुम्हारे हर सही और सही के लिए
क्योकी तुम्हारा गलत भी मेरे लिए सही ही होगा।

                                                                                                                                                                Pradeep Dubey

Let them go to hell

Let them go to hell

When the relation become shackle
When it begins to trap your paddle.
And gradually it faded your fable.
It would be better let them go to hell.

When your strength is so high
Having holding of someone you find unable to fly.
And your all efforts become failing.
It would be better let them go to hell.

Of course it’ll hurt you
Socially and entirely
It’ll blur you.
After all a good destiny will trail you
It would be better let them go to hell.
                                                                                                            Pradeep Dubey

Unity is strength

Unity is strength
It’s time to show our strength
It’s time to blow our aims
What we have suffered
For the sake of all our claim
We have to be together.

Misery will come and deploy
Destiny probably will destroy
Strom perhaps will scattered
Defeat hopefully will enjoy.
Instantly we have to struggle without being shy.
So we have to be together.

We should keep our faith upon ourselves
Either we lost our ornaments and our wealth.
We have to save our actually jewels.
For the sake of these all
We have to be together.

PRADEEP DUBEY

मैने  सीखा है ।

मैने  सीखा है


मैने रातों से सीखा है, अजेय सूर्य भी जीता जा सकता है।
मैने मृत्यू से सीखा है, जीवन भी छला जा सकता है।
मैने ऑसूओ से सीखा है, कुछ भी टिका नही रहता।
मैने तुफानो से सीखा है, सब कुछ तोड़ा जा सकता है।
मानो तो हार शिक्षक जैसी है
तुम्हें जीत का अर्थ सीखाती है
बाधॉए होती है पिता-तुल्य
ठोकर से पाठ पढ़ाती है
मनोबल है हम सबकी मॉ जैसी
गीरकर भी उठना सीखाती है।
साहस होता है सखा समान
हर पल वो साथ निभाती है
विपत्ती होती है धर्मपत्नी
सम्बन्धों का प्रतिबिम्ब दिखाती है
मृत्यु संत का रूपक है।
जीवन को पार लगाती है।
Pradeep Dubey

भ्रम जीवन का

भ्रम जीवन का

कभी-कभी लगता है
कुछ भी गलत या कुछ भी सही नही होता है।
सब कपटी मनुष्यों के बनाये गये जाल हैं।
जो अपने स्वार्थ निमित्त गढ़े गये है
जो अपनी सुलभता के लिये रचे गये है
जब कुछ हॉसिल ही नही तो कैसा पाना
जब कुछ पाया ही नही तो कोई क्या यहॉ खोता है
ये धर्म-अधर्म, सच-झुठ प्रभु प्रदत्त नही
सब अपनी सुलभता के लिए रचे गये है
खुशियॉ कोई अर्थ नही रखती
मनुष्य अनायाश यहॉ रोता है।
सदीयों पहले कुछ लोगो ने राहें बनाई थी
चले आ रहे हम सब लकीर पिटते उसपर
परिवर्तन के डर से ऑखें भीचें, हाथो को बॉधा है कसकर
हम व्यभीचारी बातों के धनी
हम चोर, बस न्यायप्रिय लगते है
और के लिए हम नितीबद्ध
अपनी बारी में ठगते है।
जिन्दा है हममे दानव केवल
इंसान कही सोता है।
कभी-कभी लगता है
कुछ भी गलत या कुछ भी सही नही होता है।
खुशियॉ कोई अर्थ नही रखती
मनुष्य अनायाश यहॉ रोता है।
                                                                                                                                                                Pradeep Dubey

Saturday, 9 September 2017

अहमियत


अहमियत


जीना  चाहता हुँ ये जिंदगी जी भर के
 पर इन सांसो के साथ हाथो में तुम्हारा हाथ हो तो क्या बात हो
कहना चाहता हु कुछ अनकहा सा
 सुन चाहे सब ले समझ तुम सको तो क्या बात हो
गाना चाहता हु एक खूबसूरत सा नगमा
 पर लब्जों में मेरे तेरा एहसास हो तो क्या बात हो
हर इंसान की जिंदगी में एक शख़्श ऐसा होता है
 जिसकी अहमियत खुद से ज्यादा होती है 
और वो ही हो तुम मेरे लिए 

Wednesday, 6 September 2017

जिम्मेदारी

                             जिम्मेदारी

बचपन में कभी कही पढ़ा था बड़ा ओहदा मतलब बड़ी जिम्मेदारी
अतुलित शक्ति मतलब सुरक्षा की अब तुम्हारी जबाबदारी
जो ताकतवर नही जो सामान्य है वो तीनका तीनका गढ़ रहे है अपने देश को
जिनको बनाया सामर्थयवान, दिया बड़े ओहदे का सम्मान वो बस अपनी झोली भर रहें है।
कभी सुनता हू पत्थर तोड़कर गढ़ी इंजिनीयर बिटियॉ
तो कभी सुनत हू हॉर्ट किड़नी बेंचकर डाक्टर ने डुबाई लुटीयॉ
कभी सुनता हू कोई सैनिक सीमा पर जान देकर देश को गौरवान्तिकर दिया
कभी सुनता हु किसी राजनितिज्ञ ने अपने सैनिको को ही गाली देकर पुरे देश को अपमानीत किया।
हे नेरो में श्रेष्ठ नराधिपती
पृथ्वी पर मानो तुम इन्द्रसमान
हमने तुमको चुना तख्तो ताज दिया
और दिया तुम्हें राजा सा सम्मान
जरा सोचो की तुमने हमें क्या दिया।
छल, दगा, भ्रष्टाचार, देश के प्रति गद्दारी, और अपमान।

                                                                                                                                                                Pradeep Dube