Wednesday, 28 August 2019

स्वतंत्रता के दायरे

अगर स्वतंत्रता है कुछ भी खाने की तो चलो खाते है किसी का जीवन ,       
अरे हमारे दायरे बड़े है,हमारा अधिकार बड़ा है, आखिर मनुष्य है हम l
शैक्षिकता बढ़ी है हमारी, बढ़ा है धन फिर खाने के अधिकार का कैसा हनन,
कल मछली बकरी भैस गाय खाया अब अपनी ही औलाद खाएंगे हम
अरे हमारे दायरे बड़े है,हमारा अधिकार बड़ा है, आखिर मनुष्य है हम l
सार्थकता तो हो परमात्मा की श्रेष्ठत्तम कृति होने का हमपर 
गर्व करना ही होगा उन्हें की मेरा बेटा खा जाता है उन सबको जिनसे मिलता है उसको जीवन 
पहले धरा वृक्ष गौ फिर चैनो अमन,
अरे हमारे दायरे बड़े है,हमारा अधिकार बड़ा है, आखिर मनुष्य है हम l
अरे खाओ खाओ इस लालसा को इतना बढ़ाओ की एक शाम अपनी ही औलाद  कढ़ाई और चूल्हो पर हो
उसकी आंत उसका कलेजा उसके अंगुलियों का जी भर के करे सेवन
अरे हमारे दायरे बड़े है,हमारा अधिकार बड़ा है, आखिर मनुष्य है हम l

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