Wednesday, 28 August 2019

सीखा है मैंने किसी से

मन को स्वच्छंद गति से बहने देना 

सीखा है मैंने किसी से  

प्रतिकूल परिश्थितियों में थिर रह जाना 

सीखा है मैंने किसी से  

हसना रोना दोनों ही मूल दशा है प्राकृत की  

कब हसना है  कब रोना है

 सीखा है मैंने किसी से 

 कुशाग्र नहीं था कभी भी मैं दुनिया और दुनियादारी में

  पर रिस्तो में अपने प्यार पिरोना

 सीखा है मैंने किसी से 

 जीवन एक कठिन डगर है राहें इसकी आसान नही

  गुन गुन गाना चलते जाना

 सीखा है मैंने किसी से  

जब आया था इस जग में  जब  बोध नही था कुछ का भी 


 ऊँगली पकड़ के आगे बढ़ना सीखा है मैंने किसी से

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