मन को स्वच्छंद गति से बहने देना
सीखा है मैंने किसी से
प्रतिकूल परिश्थितियों में थिर रह जाना
सीखा है मैंने किसी से
हसना रोना दोनों ही मूल दशा है प्राकृत की
कब हसना है कब रोना है
सीखा है मैंने किसी से
कुशाग्र नहीं था कभी भी मैं दुनिया और दुनियादारी में
पर रिस्तो में अपने प्यार पिरोना
सीखा है मैंने किसी से
जीवन एक कठिन डगर है राहें इसकी आसान नही
गुन गुन गाना चलते जाना
सीखा है मैंने किसी से
जब आया था इस जग में जब बोध नही था कुछ का भी
ऊँगली पकड़ के आगे बढ़ना सीखा है मैंने किसी से
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